नई दिल्ली। पूरे देश में लॉकडाउन का सबसे बड़ा असर चौरसिया समाज पर भी पड़ रहा है। इस लॉक डाउन से चौरसिया समाज के पान उत्पादकों के बीच हाहाकार मच गया है, तो पान व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों में कंकाली की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
पान कृषकों और पान व्यापारियों को बचाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी व प्रदेश के मुख्यमंत्रियों से अपील की जा रही है। अगर समय पर ध्यान नहीं दिया गया तो पान का उत्पादन लगभग समाप्त हो जाएगा और चौरसियाा समाज के लोग संकट से घिर जाएंगे। बनारस की शान बनारसी पान शायद आने वाले दिनों में लुप्त हो जायेगा। फिर तो फिल्मी गीत के तराने " खईके पान बनारस वाला खुल जाए बंद अकल का ताला " का धुन सिर्फ गानों में सिमट जाएगा।
गत वर्ष और इस वर्ष के शुरुआत में कड़ाके की ठंड और ओलाबारी से बड़े पैमाने पर पान की खेती बर्बाद हो गई थी। किसी तरह उबर रहे चौरसिया समाज के लोगों को इस बार लॉकडाउन से दोहरी तबाही की मार है। इस स्थिति में
चौरसिया समाज के पान उत्पादक व व्यवसायी पूरी तरह से कंगाल हो जायेगें, ऐसा कहा जा रहा है।
पान का व्यवसाय कच्चा व्यवसाय है और पूरी मेहनत ,पूंजी लगाने के बाद अचानक हुए इस बन्दी में प्रत्येक पान व्यवसाइयों का लाखो का तैयार माल घरों में सड़ रहा है।
कच्चा माल की श्रेणी मेंं अन्य सामग्री जैसे दुग्ध उत्पादन, सब्जी ,फल इत्यादि व्यवसायियों को लॉकडाउन में माल बेचने की इजाजत है, उन्हें कोई दिक़्क़त नही, किन्तु कच्चा माल पान व्यवसाय पूरी तरह ठप्प है।
ऐसे में पान व्यापारियों के बीच जीविकोपार्जन के साथ- साथ उनकी पूंजी भी पूरी तरह तबाह हो जायेगी। लॉकडाउन में जारी अन्य कच्चे व्यापार के तर्ज पर, पान व्यवसायियों के लिए भी कोई निष्कर्ष निकालने की जरूरत है, अन्यथा स्थिति बेहद खराब हो जाएगी और लाखो परिवार पूंजी के अभाव में बेरोजगार हो जायेंगे।
चौरसिया समाज इस संकट की घड़ी से उबरने के लिए परेशान है, तो चौरसिया समाज के मशीही लोग, चौरसिया समाज के सामाजिक रत्न से विभूषित बड़े लोग जो मंच, माला, माइक और तालियों से अपने शोहरत बटोरने के लिए मंचों सेे शेखियां बघारते हैं, उनको भी चाहिए कि वे सरकार से आवाज उठाएं और चौरसिया समाज को बचाने में लेटर बाजी जरूर करें। धन्यवाद !
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