नोएडा। जनपद गौतमबुद्ध नगर कमिश्ररी में अब नगर निगम बनाने की तैयारी की जा रही है। इसे लेकर नोएडा के आम नागरिक, समाज सेवी व बुद्धिजीवी वर्ग सवाल खड़े कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि यहां प्राधिकरण द्वारा जब एक बार एकमुश्त लीज रेंट पहले ही ले ली गई है, तो फिर दुबारा से हाउस टैक्स का प्रावधान क्यों होगा और लोग टैक्स क्यों देंगे ? क्या सरकार की मंसूबा जनता से जबरन उगाही करने की है? क्या सरकार और पार्टी अपने नीचे कार्य करने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं को फायदा पहुँचाने के लिए नगर निगम बनाने की तैयारी करने में लगी है, जिससे पूरे शासन तथा प्रशासन को राजनीतिक के दबाव में कार्य करना पड़े।
एनजीओ राईज ने इस बाबत सवाल खड़ा किया है। खड़े किये गये सवाल में यह बात स्पष्ट तौर पर झलक रहा है कि सताधारी राजनीतिक पार्टियों के मंसूबे अच्छे नहीं है। द राईट इनिशिएटी फाॅर सोशल एम्पावरमेंट में छपे एक लेख का हवाला दिया है जिसमें सरकार से सवाल के साथ -साथ कुछ सुझाव भी दिये गए थे। लेकिन सरकार इन सुझावों को दरकिनार कर जनता के द्वारा चुकाये गये रकम का बंदरबांट करना चाहती है।
इसमें सुझाव दिया गया है कि हमें दिल्ली एमसीडी, मुम्बई एनएमडीसी का मॉडल नहीं अपनाना चाहिए। इसके कारण वहां पब्लिक सर्विस की हालात खराब हुई है। इसलिए इसे स्वीकार नहीं करना चाहिए। एमसीडी द्वारा शहर में दी जाने वाली सुविधाओं को बेहतर बनाने की बजाय और बिगाड़ कर रख दिया है और किसी भी अल्पकालिक योजना को कार्यान्वित करने की अपनी क्षमता खो दी है। यह सब राजनीतिक पार्टी के कन्ट्रोलिंग के कारण हुई है। ऐसे में नोएडा को इस सिस्टम के हवाले करना अच्छा नहीं होगा।
जिला गौतमबुद्धनगर के नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में नगर निगम और नगर पालिका के सिस्टम को अपनाने के बजाय एक पब्लिक सर्विस कमेटी का गठन करना चाहिए। इसमें कार्य से जुड़े लोगों को जगह मिलना चाहिए, ताकि कम खर्चे में अच्छे-से-अच्छे सुविधाओं से लोगों को लाभान्वित किया जा सके। इस तरह के बेहतरीन सेवा को बहाल करने के लिए सरकार JUSCO से परामर्श ले सकती है।
बता दें कि JUSCO जमशेदपुर युटिलिटी सर्विस प्रोवाईडर कंपनी है जो टाटा की शहर जमशेदपुर में अपनी सर्विस दे रही है। जो नागरिकों के सुविधाओं को बेहतर बनाने में कामयाब रही है। सरकार को ऐसी कंपनियों से सलाह लेकर नोएडा में भी ऐसी ही व्यवस्था बहाल करना चाहिए, बजाय इसके कि मुंसिपलिटी बनाया जाय और मुंसिपल कमीशनर नगर निगम और मेयर बहाल हो।
द डिवीजनल कमीशनर मेरठ आलोक सिंहा, प्रमुख सचिव सरकार उत्तर प्रदेश, आलोक टंडन आईएएस, अध्यक्ष सीईओ, प्राधिकरण नोएडा को लिखे पत्र में यह सभी शिकायत और सुझाव का संग्लन किया गया है। इसके बजाय सरकार इन सभी सुझावों को दरकिनार कर राजनीतिक में किये गये वायदे को पूरा कर अपने आस-पास के लोगों को फायदा पहुँचाना चाहती है। नगर निगम की व्यवस्था करना अच्छा विचार हो सकता है, लेकिन इसके लिए टैक्स कौन पेय करेगा ?
कहा गया है कि उस जनता का भी ख्याल रखना चाहिए जिस पर दोहरी मार पड़ने वाली है। जमीन तो पहले ही लीज रेंट पर दिये गये हैं, इसके बावजूद अब इसमें नगर निगम टेक्स ( हाउस टैक्स) की व्यवस्था और लागू करना क्या जनता के हित में है ?
उल्लेखनीय है कि गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी बीएन सिंह ने गत वर्ष यहां नगर निगम बनाये जाने हेतु शासन को पत्र लिखा था। नगर निगम बनाने के पीछे उन्होंने यह तर्क दिया था कि जिले के तीनों प्राधिकरण औद्योगिक विकास के अंतर्गत आते हैं। बाकी शहरों की तरह नोएडा-ग्रेटर नोएडा में भी नगरीय आवश्यकताओं की जरूरत है। अभी प्राधिकरण ही नगरीय काम देख रहे हैं। शहरी क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा स्लम और डूब क्षेत्र में निवास कर रहा है, लेकिन उनके पास किसी भी प्रकार की नगरीय सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।
डीएम का तर्क था कि शहरी क्षेत्र के नगरीय काम को संचालित करने के लिए यहां नगरीय एक्ट प्रचलन में नहीं है। इस कारण विधिक रूप से सभी काम कराने में प्राधिकरण असमर्थ लग रहे हैं। दिल्ली से सटा होने के कारण विकास के विभिन्न मापदंडों पर इसकी तुलना दिल्ली से की जाती है। राष्ट्रीय स्तर पर भी नोएडा यूपी का चेहरा है एवं यहां की सामाजिक, आर्थिक एवं प्रशासनिक गतिविधियों को सभी स्टेक होल्डर द्वारा ध्यान से देखा जाता है।
उनका तर्क था कि यूपी एवं दिल्ली का एक प्रबुद्ध वर्ग जो विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणीय योगदान करता है, वह नोएडा में निवास करता है। नोएडा औद्योगिक शहर की बजाए आवासीय शहर के रूप में विकसित हो रहा है। साथ ही नगर निगम बनने से फायदे यह होंगे कि यहां स्थानीय सरकार चुनने का अधिकार मिलेगा। अपने लिए विकास योजनाएं तैयार करने का हक मिलेगा। एक निश्चित समय के बाद संपत्ति फ्री होल्ड हो जाएगी। प्रमाण-पत्र एवं अन्य सुविधाएं बेहतर ढंग से मिल सकेंगी। केंद्र व राज्य वित्त आयोग का पैसा मिलने लगेगा। परलोगों को पानी, गृह समेत कई तरह के टैक्स अनिवार्य रूप से देने होंगे।