इंदौर के सुमन चौरसिया के पास है लता मंगेशकर के हर गीतों का रिकॉर्ड

लता मंगेशकर के हर गीतों का रिकॉर्ड है इंदौर के सुमन चौरसिया के संग्रहालय में मौजूद
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इंदौर। सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर ने करीब साढ़े सात हजार गीत गाए हैं और उनका गाया हर गीत पूरे देश में केवल इंदौर के सुमन चौरसिया के पास मौजूद है। उनके संग्रह में कई दुर्लभ गीत हैं इसलिए जब लता जी को इस संग्रह के बारे में पता चला तो उन्होंने सुमन चौरसिया से अपने कई दुर्लभ मांगे और चौरसिया ने उन्हें करीब 200 गीत सीडी में रिकॉर्ड कर भेजे, क्योंकि ओरीजनल ग्रामोफोन रेकॉर्ड वो किसी को नहीं देते। 
लता जी ने देश की लगभग हर भाषा के साथ साथ भोजपुरी, मैथिली, मागधी, गढ़वाली, और छत्तीसगढ़ी जैसी बोलियों में भी गीत गाए हैं। इनके साथ ही श्रीलंका की सिंहली, अफ्रीका की स्वाहिली और इंडोनेशियन भाषा में भी गाया है और सुमन चौरसिया के संग्रह में ये सब गीत मौजूद हैं।


1984 में जब लता मंगेशकर इंदौर आई थीं तब श्री चौरसिया ने उन्हें अपने संग्रह के बारे में उन्हें बताया तो वो भावुक हो गईं और तभी उन्होंने कुछ दुर्लभ गीत उनसे मांगे। जब वो सारे गीत चौरसिया के पास से मिल गए तो लता जी भाव-विभोर हो गईं। लता जी ने जो गीत चौरसिया से मांगे उनमें ज्यादातर वो गीत हैं जो उनके करियर के शुरुआती दिनों के हैं, यानी 1944 से 1948 के बीच हैं। इन भूले बिसरे गीतो को लता जी के लिए भी ढूंढ पाना तकरीबन नामुमकिन ही था।



सुमन चौरसिया ने करीब 200 दुर्लभ गीत उन्हें दिए जिनमें 1946 का फिल्म जीवन यात्रा का गीत चिडि़या बोले चूंचूंचूं...., जिसके संगीतकार थे वसंत देसाई, इसी साल का फिल्म सोना चांदी का गीत प्यारे बापू के चरणों की ले लो कसम......, इसके संगीतकर थे डीसी दत्त। वसंत देसाई के संगीत निर्देशन में फिल्म सुभद्रा के गीत पिया आएगा गौरी सुध ना बिसार...., फिल्म आपकी सेवा में का पा लागूं कर जोरी रे श्याम मो से न खेलो होरी रे.... सहित अनेक गीत हैं जो चौरसिया को जबानी याद हैं।
सुमन चौरसिया कहते हैं कि  "मैं बचपन से लताजी का प्रशंसक हूं। मैंने उनके गाये गानों के ग्रामोफोन रिकॉर्ड वर्ष 1965 से सहेजने शुरू किये थे। फिलहाल मेरे पास ऐसे करीब 7,600 ग्रामोफोन रिकॉर्ड का संग्रह है। इनमें वे दुर्लभ गीत हैं जो लताजी ने देशी-विदेशी भाषाओं और बोलियों में गाये हैं।"



चौरसिया ने बताया कि वर्ष 2008 में उन्होंने इस संग्रह को व्यवस्थित करने के लिये संग्रहालय का रूप दे दिया था। इसे नाम दिया गया-"लता दीनानाथ मंगेशकर ग्रामोफोन रिकॉर्ड संग्रहालय"। उन्होंने याद किया, "मुझे एक दिन महसूस हुआ कि लताजी की जन्मस्थली इंदौर में उनके नाम पर एक संग्रहालय होना चाहिये, ताकि संगीतप्रेमी एक ही छत के नीचे उनकी सुरीली विरासत का आनंद उठा सकें। तब से मैं उनके गाये गीतों के ग्रामोफोन रिकॉर्ड खोजने में जुट गया।"


चौरसिया फख्र से बताते हैं कि साढ़े पांच दशक के जतन से तैयार इस संग्रहालय में "मौसिकी की महारानी" की आवाज वाले फिल्मी गीतों से लेकर रेडियो के लिये गाये उनके गाने भी मौजूद हैं। शहर के पिगडंबर इलाके में 1,600 वर्गफुट पर बने संग्रहालय में लता मंगेशकर के गीतों के अलावा उनके जीवन से जुड़ी तस्वीरें और उन पर लिखी किताबें भी सहेजी गयी हैं।