मतदान जरूर करें, अच्छे प्रत्याशी को चुने

 


लोकतंत्र के इस महापर्व में मतदान ही एक ऐसा अस्त्र है ,जिससे हम भारतवासी इस देश को दिशा देते हैं। हम ही यह तय करते हैं कि देश को खुशहाली और तरक्की की ओर ले जाना है या फिर गलत निर्णय कर देश को विश्व की दौर से 20-25 साल पिछे ढकेल देना है। मित्रों, पिछले बीते दशकों में हम अभी तक नेताओं के चक्रव्युह में उलझे रहे हैं। इसका मुख्य कारण हमारा अपना स्वार्थ ही है,जबकी समय की मांग है हम अपना निजी हित को त्याग कर देशहित में निणय लें।



17वीं लोकसभा के पहले चरण के चुनाव कगार पर है। राजनीतिक पार्टियां लोक-लुभावने घोषना पत्रों के जरिये मतदाताओं को रिझाने के जतन में हैं और इन लोक-लुभावन वादों पर लोग मंत्रमुग्ध हैं, लेकिन जब चुनाव का शोर थमेगा और उनकी तंद्रा टूटेगी तो खुद को ठगा हुआ महसूस करेगें। आज जरूरत लोगों को आत्मनिर्भर बनाने की है। एक ऐसा माहौल देने की है जिससे लोग खुद ब खुद अपना और अपनों का विकास कर सकें।



शिक्षा ,स्वास्थ ,रोजगार ,आवास,पेयजल,पर्यावरण को दुरुस्त करने की जरूरत है। मुफ्तखोरी की सस्ती लोकप्रियता से मतदाताओं को प्रभावित कर सरकार बनाना लोकतंत्र का मजाक ही तो है। ऐसे अभ्यास से लोकतंत्र में पारदर्शी चुनाव प्रणाली के सही मायनों को नहीं पाया जा सकता।  हमें नेताओं के वादों की समीक्षा करनी चाहिये कि वे जो देने का वादा कर रहे हैं, यह कहाँ से लाएंगे। इससे हमारे देश की अर्थव्यवस्था पर कितना प्रभाव पङेगा। मंहगाई तो नहीं बढ़ेगी। देश के विकास को तो प्रभावित नहीं करेगी। मध्यमवर्ग पर बोझ तो बढ़ेगा जिनको यह लाभ मिलेगा कहीं वो लोग मुफ्तखोर तो नही हो जाएगें।


इस चुनावी महासमर में हम मतदाता ही सर्वशक्तिमान हैं। हमें उन्हें ही चुनना है जो हमारा सर्वांगीण विकास कर सकें।
लोकसभा चुनाव में भी हम भूल जाते हैं। हमे केन्द्र में प्रधानमंत्री चुनना है।
तो इस बात पर विशेष ध्यान दें कि हम PM के रूप में किसे चुनें।
ठीक उसी तरह जैसे हम बीमार पड़ने पर एक अच्छा डॉक्टर चुनते हैं।उस समय हम उसकी जाति नहीं देखते हैं। केवल उसकी योग्यता देखते हैं।


तो इन पहलुओं पर ध्यान देते हुए ,अधिक से अधिक मतदान करें।
राष्ट्रहित सर्वोपरी है, इसको ध्यान में रखकर मतदान करें।


नोटा का प्रयोग बिल्कुल ना करें। इससे अयोग्य व्यक्ति भी चुनकर आ सकते हैं।